हम तो हैं एक दूजे के लिए फ़िर खामोश हम कैसे रहें। हम तो हैं एक दूजे के लिए फ़िर खामोश हम कैसे रहें।
इन रातों के साए में, तुम्हें ही तो ढूंढा, हुई रात इतनी, कहाँ आंख मूंदा। इन रातों के साए में, तुम्हें ही तो ढूंढा, हुई रात इतनी, कहाँ आंख मूंदा।
जी लो आज इन हँसी लम्हों को क्या पता कल हो न हो ये हसीं साथ। जी लो आज इन हँसी लम्हों को क्या पता कल हो न हो ये हसीं साथ।
मंद उठती सदाओं में आंधियों सा ज़ोर क्यों है। मंद उठती सदाओं में आंधियों सा ज़ोर क्यों है।
पूरा दिन घर से बाहर बिताने के शाम को घर लौटने पर एक मुस्कान की चाहत में... पूरा दिन घर से बाहर बिताने के शाम को घर लौटने पर एक मुस्कान की चाहत में...
जीवन की ये डगर अनोखी , तुम संग बीते हँसते गाते। जीवन की ये डगर अनोखी , तुम संग बीते हँसते गाते।